Thursday, July 19, 2012

मीडिया युद्ध

भले ही आउट लुक मैग्जीन ने  भड़ास निकाल ली  हो ओबामा को अंडर अचीवर साबित  कर के  मगर सच्चाई छुप नहीं सकती जमाने के उसूलों से, के खुशबू आ नहीं सकती कागज़ के फूलों से. हाँ ये सच है की विश्व का दादा  किसी भी देश को अपमानित करने से  नहीं चूकता और ये कहकर बच कर निकलना चाहता है की अपमानित देश इसे सिर्फ क्रिटीसीजम समझें और अपने आप में सुधार लायें. मगर टाइम मैग्जीन के स्टेटमेंट को भूल कर आँख बंद करके यदि ये  सोचा जाए कि  मनमोहन  ने हमें  दिया क्या एक प्रधानमन्त्री के रूप में  तो आभास हो जाएगा कि  इस बन्दे ने देने की  परिभाषा  बदल कर हमें  सच में बहुत कुछ दिया है-  आसमान छूती मेहंगायी, ग़रीबी, आर्थिक मंदी और न जाने क्या क्या! अर्थशास्त्र के महाज्ञानी ने पूरे देश को ऐसी स्थिति में ला कर छोड़ दिया है की साँस लेना भी मुश्किल है। खैर अब उनके निक्कम्मेपन को गिनाने से  कोई फायदा नहीं क्योंकि देश की जनता   इससे पूरी तरह से वाकिफ है . मेरा उद्देश्य तो बस ये कहना  था कि  कुत्तों का काम सिर्फ भौंकना होता है मगर हाथी का काम सुनी को अनसुनी करना और साथ-साथ बिना सुने हुए स्वयं में सुधार लाना  भी होता है। मगर संप्रग सरकार को गीदड़ से हाथी बनने में अभी वक़्त  है। 

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