अर्थशास्त्र में शब्दों को बहुत भारी भरकम बना दिया जाता है। मुद्रास्फीति को ही ले लीजिये ..लगता है कोई दीवाली के मँहगे पटाखे का नाम हो। इसे सरल रूप में लीजिये। मुद्रास्फीति का अर्थ मँहगाई है ..बस और कुछ नहीं।
मुझे याद है जब मै ग्रेजुएशन की क्लास अटेंड कर रहा था तो टीचर जी ने मुझसे पूछा की मुद्रा स्फीति क्या है तो मैंने फटाक से जवाब दिया "सर मँहगाई "...वह चुप हो गए और मैं भी उनके पीले पड़े चेहरे को देखता ही रह गया . शायद वो कुछ और ही सुनना चाह रहे थे।
मुद्रा की क्रय शक्ति में होने वाले ह्रास को मुद्रा स्फीति कहते हैं . अब इसे सरल उदाहरण द्वारा समझे . यदि आप बाजार में दाल लेने जाते हैं और आपके पास 60 रुपए हैं। आपका मानना था कि 60 रुपए में आपको 1 किलो दाल मिल जाएगी क्यूंकि पिछले महिने आपने 60 रुपए किलो ही दाल ली था . पर बाजार जाकर पता चला कि दाल 90 रुपए किलो हो गयी है। इसका मतलब आप अब एक किलो दाल नहीं खरीद पायेंगे। मुद्रा की क्रय शक्ति घट गयी। अब तो 30 रुपए और भी जोड़ने पड़ेंगे दाल लेने के लिए।
मुद्रा की क्रय शक्ति का यही ह्रास मुद्रास्फीति कहलाता है।
क्या कारण है कि सरकार रोज़-रोज़ मुद्रास्फीति में कमी की घोषणाएं करती रहती है फिर भी ये महंगाई है कि न तो रुकने का नाम ले रही है और न ही कम होने का. क्या ये सरकार की, चुनावों के चलते, आंकडों से बुनी जादूगरी है या विपक्ष सही कह रहा है. आईये इस मुद्रास्फीति के अर्थशाश्त्र को साधारण शब्दों में समझने का प्रयास करें.
वास्तव में, मुद्रास्फीति की दर घटने का अर्थ मँहगाई कम होने से इतना सीधा भी नहीं है (जितना कि हम समझते हैं) क्योंकि यह दर फिछले सप्ताह इत्यादि, की मुद्रास्फीति की दर के सन्दर्भ में होती है न कि महंगाई के सन्दर्भ में. इसलिए पहले ये जान लें कि मुद्रास्फीति की दर और महंगाई मैं सीधा सम्बन्ध नहीं होता है, अप्रत्यक्ष सम्बन्ध होता है. इसीलिए, यूं भी कहा जा सकता है कि
(1) मुद्रास्फीति की दर में वृद्धि माने मँहगाई में वृद्धि,
(2) मँहगाई में वृद्धि माने मुद्रा स्फीति की दर में वृद्धि
(3) मँहगाई में कमी माने मुद्रा स्फीति की दर में कमी,
(4) लेकिन, मुद्रास्फीति की दर में कमी का मतलब मँहगाई में कमी ज़रूरी नहीं.
उदारहरण के रूप में इसे यूं देखा जा सकता है:-
१.१.२००८ किसी वस्तु की कीमत रु.१००/-
१.२.२००८ यदि मासिक मुद्रास्फीति दर १०% (↑) = ११०/-
१.३.२००८ यदि मासिक मुद्रास्फीति दर १०% (↑) = १२१/-
१.४.२००८ यदि मासिक मुद्रास्फीति दर १५% (↑)= १३९.१५
१.५.२००८ यदि मासिक मुद्रास्फीति दर ०२% (दर में कमी, पिछले महीने तुलना में) = १४१.९३
इसी तरह आगे भी.....
ऊपर के उदाहरण से देखा जा सकता है कि मुद्रास्फीति की दर 15% से घट कर 2% (यानि 13% की कमी) होने पर भी वस्तु की कीमत में रु. 2.78 कि बढोतरी हुई. यानि मँहगाई नहीं घटी. यही अर्थशास्त्र का खेल है जिसे वोटों के खेल में भी बदला जाता रहता है ठीक वैसे ही, जैसे कभी ये कहा गया था कि नदी पर बाँध बनाकर पानी में से बिजली निकाल ली गयी और इस तरह से गरीब किसानों को धोखे से बिना बिजली वाला पानी दिया गया.
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